शिशु के दिमाग के विकास के लिए आयोडीन जरूरी

ब्यूरो,

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र दुर्गाकुंड पर आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण दिवस पर किया गया जागरूक

प्रतिवर्ष 21 अक्टूबर को मनाया जाता है विश्व आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण दिवस

आयोडीन सूक्ष्म पोषक तत्व है, जो कि शरीर की वृद्धि व विकास के साथ ही बहुत से हार्मोन व एंजाइम के निर्माण के लिए आवश्यक है। आयोडीन बढ़ते शिशु के दिमाग के विकास व थायराइड ग्रंथि के सुचारू रूप से कार्य करने के लिए अनिवार्य है। आयोडीन का भ्रूण के मानसिक विकास से वृद्धि के शारीरिक विकास क्रम तक महत्वपूर्ण योगदान है। आयोडीन की कमी से बच्चों में बौद्धिक एवं शारीरिक विकास ठीक से नहीं हो पाता है। इसके प्रति जागरूक करने के लिए प्रतिवर्ष 21 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण दिवस यानी विश्व आयोडीन अल्पता नियंत्रण दिवस मनाया जाता है। यह कहना है अपर निदेशक/मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ वीबी सिंह का।

डॉ सिंह ने बताया कि इस अवसर पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र दुर्गाकुंड में आयोडीन अल्पता विकार निवारण के प्रति लोगों जागरूक किया गया और इसकी उपयोगिता के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया। उन्होने बताया कि विश्व आयोडीन अल्पता दिवस का उद्देश्य लोगों को आयोडीन के पर्याप्त उपयोग के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना व आयोडीन की कमी के परिणामों के बारे में बताना है। साथ ही मानव शरीर में आयोडीन की कमी से होने वाले विकार के लक्षणों और निवारक उपायों के बारे में भी बताया गया | इस दिवस के मामध्य से घरेलू उपायों के रूप में आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थों की पहचान करने व लोगों को उन्हें अपने आहार में शामिल करने के लिए प्रेरित किया जाता है।
हमारे शरीर को आयोडीन मुख्यत: हमारे भोजन में शामिल नमक से मिलता है। शरीर को एक निर्धारित मात्रा में ही प्रतिदिन आयोडीन की जरूरत होती है। इसकी ज्यादा मात्रा नुकसानदेह होती है। शरीर में आयोडीन को संतुलित बनाने का कार्य थाइरोक्सिन हार्मोंस करता है,जो मनुष्य की अंतस्रावी ग्रंथि थायराइड ग्रंथि से स्रावित होती है। मानसिक मंदता की बड़ी वजह शरीर में आयोडीन की कमी होती है। गर्भवती में आयोडीन की कमी होने से बच्चे के मानसिक और शारीरिक विकास पर असर पड़ता है। बचपन में पूरा पोषण नहीं मिलने के कारण भी बच्चे इस तरह की बीमारियों से ग्रसित होते हैं। गर्भावस्था में आयोडीन की कमी बौनापन, मृत शिशु के जन्म या गर्भपात का कारण हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान आयोडीन की थोड़ी कमी भी बच्चे की सीखने की क्षमता को प्रभावित कर सकती है।
कार्यक्रम में प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ सारिका राय, डॉ एसके सिंह, डॉ एससी सिंह, उप मलेरिया अधिकारी केके राय, जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी हरिवंश यादव, यूनिसेफ़, डबल्यूएचओ सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

आयोडीन की कमी से हो सकती है ये समस्याएं-

• थायराइड ग्रंथि का ठीक से काम नहीं करना, जिसे हाइपोथायरायडिज्म कहा जाता है।
• मानसिक विकार जैसे मंदबुद्धि, मानसिक मंदता, बच्चों में संज्ञानात्मक विकास ठीक से नहीं होना।
• तंत्रिका-पेशी व स्तैमित्य (मांसपेशियों की जकड़न) जैसे रोग हो सकते हैं।
• गर्भवती में स्वतः गर्भपात या जन्मजात विकृति, बहरा-गूंगापन (बात करने में असमर्थता) व बौनापन।

ऐसे दूर करें आयोडीन की कमी –

• आयोडीन शरीर के अंदर उत्पन्न नहीं होता है। इसलिए इसे नियमित रूप से भोजन के रूप में सेवन किया जाना चाहिए। एक पूर्ण विकसित वयस्क को मस्तिष्क और शरीर को ठीक से काम करने के लिए शरीर में प्रत्येक दिन 150 माइक्रोग्राम आयोडीन की आवश्यकता होती है।
• आयोडीन का सबसे सामान्य स्रोत नमक है। बाजार से आयोडीन युक्त नमक लेकर उसका प्रयोग करना चाहिए।
• आयोडीन युक्त कुछ अन्य खाद्य प्रदार्थ जैसे: दूध, अंडा का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए।
• मछली, मांस इत्यादि आयोडीन से भरपूर होते हैं, जिसे दैनिक भोजन में शामिल कर सकते हैं।
• मूली, गाजर, टमाटर, पालक आदि सब्जियों में अल्प मात्रा में आयोडीन पाया जाता है।
• केला, स्ट्राबेरी फलों में भी आयोडीन पाया जाता है।

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