ब्यूरो,
4 अक्टूबर, 2021 सुबह तकरीबन 4:30 बजे डीसीपी पीयूष कुमार सिंह, क्षेत्राधिकारी, सीतापुर शहर के मौखिक कथनानुसार मुझे धारा 151 के तहत हिरासत में ले लिया गया। जिस समय मुझे हिरासत में लिया गया उस समय मैं सीतापुर जिले में थी और लखीमपुर जिले की सीमा से लगभग 20 किलोमीटर दूर थी। उस समय लखीमपुर जिले में धारा 144 थी, लेकिन मेरी जानकारी के अनुसार सीतापुर जिले में धारा 144 नहीं लगी हुई थी।
वैसे भी मैं 2 कांग्रेस कार्यकर्ताओं और श्री दीपेन्द्र हुड्डा व श्री संदीप सिंह के साथ एक गाड़ी में जा रही थी। चार लोगों के अलावा न तो मेरे साथ मेरे सुरक्षा दस्ते की गाड़ी थी और न ही कोई अन्य कांग्रेस कार्यकर्ता मेरे साथ थे। मुझे हिरासत में लेकर 2 महिला कांस्टेबल और 2 पुरुष कांस्टेबल सीतापुर पीएसी परिसर लाए।
पीएसी परिसर, सीतापुर लाए जाने के 38 घंटे बाद 5 अक्टूबर को शाम 6:30 बजे तक उत्तर प्रदेश पुलिस या उप्र सरकार के प्रशासन द्वारा न तो मुझे ये बताया गया कि मुझे किन परिस्थितियों या किन कारणों से हिरासत में लिया गया है और न तो मुझे बताया गया कि मुझे किस धारा के तहत हिरासत में लिया गया है।
• मुझे मेरी हिरासत से सम्बंधित न तो कई नोटिस दिखाया गया, न ही कोई आदेश। मुझे कोई एफआईआर भी उपलब्ध नहीं कराई गई।
• मैंने सोशल मीडिया पर एक कागज देखा है, जिसमें प्रशासन ने 11 लोगों को नामजद किया है। इन 11 लोगों में से 8 लोग तो मेरी हिरासत के समय वहाँ मौजूद भी नहीं थे। यहाँ तक कि प्रशासन ने उन 2 लोगों को भी नामजद कर दिया, जो 4 अक्टूबर को दोपहर में लखनऊ से मेरे कपड़े लेकर आए थे।
• मुझे किसी मजिस्ट्रेट या न्यायिक अधिकारी के समक्ष भी पेश नहीं किया गया।
• मेरे वकील सुबह से गेट पर खड़े हैं। मुझे कानूनी सलाह लेने के लिए मेरे वकीलों से मिलने के अधिकार से भी वंचित रखा गया।
मुझे और मेरे साथियों को पूरी तरह गैर-कानूनी तरीके से बलपूर्वक हिरासत में लिया गया था। लेकिन मैं अभी उन विवरणों में नहीं जा रही हूँ। मैं इस वक्तव्य के जरिए बताना चाहती हूँ कि बिना किसी कानूनी आधार के मेरे संवैधानिक अधिकारों का हनन करते हुए मुझे सीतापुर पीएसी परिसर में कैद करके रखा गया है।