ब्यूरो,
योगी सरकार 1.23 लाख आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को स्मार्ट फोन बांटने के बाद अब उनके खाते में हर महीने दो सौ रुपये भी जमा करेगी। अधिकारियों ने बताया कि कार्यकत्रियों को 200 रुपये प्रतिमाह डाटा के लिए दिया जाएगा। स्मार्टफोन में अपलोडेड पोषण ट्रैकर एप्लीकेशन पर कार्यकर्त्री विभागीय दैनिक कार्यों की प्रविष्टियां अंकित करेंगी। इससे उनका काम ट्रैक होगा और प्रोत्साहन राशि इसी से निर्धारित होगी। स्मार्ट फोन बांटने के बाद मुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि इससे ये कार्यकत्रियां स्मार्ट बनेंगी। इससे शिशु-मातृ मृत्यु दर को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। योगी ने कहा कि चार साल पहले यही कार्यकत्रियां धरना-प्रदर्शन के लिए बदनाम थीं लेकिन मैं आंगनबाड़ी वर्कर, आशा, एएनएम की ताकत को जानता था। हमने इस ताकत को कोरोना के दौरान आजमाया और उत्तर प्रदेश का मॉडल पूरे विश्व में सराहा गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि कोरोना के समय यूपी पर पूरा फोकस था। तब हमने हर मोहल्ले के लिए निगरानी समिति बनाई कि इसमें आंगनबाड़ी वर्करों ने घर-घर जाकर पहचान की। संदिग्धों की जांच करवाई, मेडिसिन किट दी। निगरानी समिति की रिपोर्ट से हमने मॉनिटरिंग की। आंगनबाड़ी वर्करों के काम के चलते ही यूपी ने कोरोना को मात दी।
मुख्यमंत्री ने बीते दिनों कार्यकत्रियों के बकाए की भुगतान के आदेश दिए थे। जिसके बाद विभाग ने वर्ष 2019 में जारी आदेश को लागू करते हुए प्रोत्साहन राशि दिए जाने के मानक तय कर दिए। इसके तहत आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को मानदेय के अतिरिक्त हर माह 1500 रुपये, मिनी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को 1250 रुपये और आंगनबाड़ी सहायिकाओं को 750 रुपये प्रतिमाह प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसके लिए विभिन्न मानक तय किए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने इंसेफेलाइटिस के अनुभव को यहां आजमाया। वर्ष 1997 से पहले इंसेफेलाइटिस की सूचनाएं सरकारों तक नहीं पहुंचती थीं जबकि पूर्वांचल के सात व यूपी के 38 जिलों में इंसेफेलाइटिस से हजारों मौते होती थीं। सरकारें इसे अनसुना करती थीं। जब मैं सांसद बना तो मैंने इस पर काम किया और उसी मॉडल से कोरोना को मात दी। इंसेफेलाइटिस में 95 से 97 फीसदी मौत के आंकड़ों को कम किया गया है।
मुख्यमंत्री ने बिना नाम लिए कहा कि वर्ष 2017 में लोग कहते थे कि एक्साइज के क्षेत्र में जो गिरोह हावी है उसे तोड़ पाएंगे। हमने नीतियां ऐसी बनाई कि वे खुद बाहर हो गए। पुष्टाहार में भी ऐसा ही था। इसमें सरकार व आंगनबाड़ी व इससे जुड़े लोग बदनाम होते थे। हमने पंजीरी निर्माण की व्यवस्था जिलों में की है। इसका असर चार-पांच साल बाद दिखेगा। इससे कुपोषण दूर होगा। लोग बीमार कम पड़ेंगे, दवाई की बचत होगी। उन्होंने तकनीक को एक मजबूत हथियार बताते हुए कहा कि तकनीक को उस आखिरी पायदान तक जाना चाहिए जहां योजनाएं जमीन पर उतारी जाती हैं। इससे पोषण की ट्रैकिंग व डाटा के लिए अलग से भागदौड़ की जरूरत नहीं होगी।