ब्यूरो,
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने माना है कि पंचायत चुनाव नहीं लड़कर उनकी पार्टी ने गलती की है। मंगलवार को संसदीय राज संस्थानों को मजबूत करने के लिए श्रीनगर में आयोजित संसदीय संपर्क कार्यक्रम में फारूक अब्दुल्ला मौजूद थे। इसी कार्यक्रम में शिरकत करते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख ने कहा कि ‘मुझे अफसोस है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जम्मू और कश्मीर के पंचायत चुनाव में हिस्सा नहीं लिया है। पार्टी को इस चुनाव में शामिल होने चाहिए था।’ एनसी प्रमुख ने यह भी कहा कि जम्मू कश्मीर में जल्द ही एक सरकार सत्ता में आएगी और इसके बाद जनता के प्रति अधिकारियों की जवाबदेही भी तय होगी।
नेशनल कॉन्फ्रेंस ने साल 2018 में जम्मू कश्मीर में हुए पंचायत चुनाव का बहिष्कार किया था। जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लिए जाने के बाद साल 2019 में खंड विकास परिषद् के चुनाव का भी पार्टी ने बहिष्कार किया था। फारूक अब्दुल्ला ने इस कार्यक्रम में आतंकवाद के मुद्दे पर भी अपनी बात रखी। फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि ‘हम अभी भी आतंकवाद झेल रहे हैं, भगवान ही जानते हैं कि भविष्य में क्या होगा। इसलिए सबसे जरुरी है कि हम पंचायत सदस्यों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दें। पंचायत सदस्य आतंकवादियों के पहले टारगेट होते हैं।’
फारूक अब्दुल्ला ने आगे कहा कि ‘हम राजनेता आतंकवादियों के निशाने पर होते हैं। जो भी राष्ट्र के साथ खड़ा है उसे ऐसे हालात का सामना करना पड़ता है। भारत विभिन्नताओं से भरा देश है। तो फिर आखिर वो कौन सी चीज है जो हमें एक बनाकर रखती है? यह हमारी इच्छाशक्ति है जो विभिन्नताओं के बावजूद हमें एक बनाए रखती है। हमें अपनी विभिन्नताओं को बचाने की जरुरत है।’
इस कार्यक्रम में यहां के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी मौजूद थे। फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर के सरकारी अधिकारियों के प्रति भी अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर प्रशासन के अधिकारी फोन नहीं उठाते हैं। उन्होंने उप राज्यपाल से आग्रह किया कि वो अधिकारियों को निर्देश दें कि वो फोन उठाया करें।