अंतिम बार भारत से बस दो ही विमान और जाएंगे अफगानिस्तान

ब्यूरो,

तालिबानी कोहराम के बीच अफगानिस्तान में भारत का राहत और बचाव अभियान अब अपने आखिरी चरण में है। भारत की ओर से सोमवार को दो विमान अफगानिस्तान भेजे जाएंगे और इसके बाद विदेश मंत्रालय का वह मिशन पूरा हो जाएगा जो 15 अगस्त तक लगभग असंभव लग रहा था। इसी दिन तालिबान ने राजधानी काबुल पर कब्जा किया था। 

सोमवार को काबुल से दो और विमान भारत पहुंचेंगे। इसके बाद अब तक अफगान से भारत बचाकर लाए गए लोगों की संख्या 700 के पार हो जाएगी। 16 अगस्त से लेकर अब तक भारतीय वायुसेना और एअर इंडिया के कुल 6 विमान काबुल से भारत लोगों को ला चुके हैं। 

दिल्ली और काबुल में मौजूद राजनयिकों के मुताबिक, काबुल से भारतीयों को लाना इतनी आसान प्रक्रिया नहीं था। इसके लिए कूटनीतिक और सुरक्षा के स्तर पर कई दाव-पेंच संभालने थे, जिसमें खुद सीधे तौर पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े बड़े अधिकारियों तक को शामिल होना पड़ा। 

काबुल का हामिद करजई एयरपोर्ट जहां अमेरिकी रेंजर्स के कब्जे में है, तो वहीं यहां तक पहुंचने के लिए लोगों को पहले तुर्की की सेना और फिर तालिबान के घेरे को पार करके पहुंचना पड़ा। रास्ते में जगह-जगह बंदिशों को पार करते हुए अगर कोई बस अगर एयरपोर्ट पहुंच भी जाए तो वहां भीड़ को तितर-बितर करने के लिए तुर्की के सुरक्षाबलों की ओर से फायरिंग तक का सामना करना पड़ रहा है। इसके बाद अमेरिकी सेना किसी भी यात्री को पूरी जांच के बाद ही विमान में बैठने देने की इजाजत दे रही है।

बीते हफ्ते भारत ने अपने नागरिकों को बचाने के लिए पहला विमान भेजा था। उस समय विदेश मंत्री एस. जयशंकर लगातार अमेरिकी, तुर्क, कतर और मध्य एशिया में भारतीय सहयोगियों से संपर्क में थे ताकि विमान बिना अड़चन उड़ान भर सके। इसके अलावा दिल्ली से नेशनल सिक्योरिटी टीम भी अपने अमेरिकी समकक्षों और तालिबान नेतृत्व से जुड़े अपने सूत्रों के जरिए लगातार इस कोशिश में थे कि विमान अफगानिस्तान से बाहर निकले। हालांकि, यह काफी नहीं था।

भारतीय विमानों को काबुल पर पार्किंग की इजाजत नहीं थी जिसकी वजह से भारतीय वायुसेना और एअर इंडिया के विमान दुशानबे और ताशकंत एयरपोर्ट पर खड़े रहकर काबुल जाने के लिए हरी झंडी मिलने का इंतजार कर रहे थे। 

स्थिति इसलिए और जटिल हुई क्योंकि भारतीय वायुसेना के विमानों को पाकिस्तानी वायुक्षेत्र से उड़कर जाने की इजाजत नहीं थी। इसलिए ये विमान तेहरान की विशेष मंजूरी लेकर ईरान के रास्ते अफगान पहुंचे। इससे विमानों को काबुल पहुंचने में अतिरिक्त समय तो लगा ही, भारत वापसी में भी ये विमान पहले गुजरात के जामनगर में लैंड करने पड़े और इसके बाद दिल्ली पहुंचे। काबुल में सुरक्षा संबंधी गंभीर खतरों से जूझते हुए भी आखिरकार भारत अपने नागरिकों को सुरक्षित स्वदेश लाने में कामयाब रहा।

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