मतभेद भुला सांसदों की ट्विटर को खरी-खरी

सारे मतभेद भुला सांसदों की ट्विटर को खरी-खरी, थरूर की अध्यक्षता वाली कमिटी में क्या हुआ

नए आईटी नियमों को लेकर सरकार और ट्विटर में गतिरोध के बीच ट्विटर इंडिया के अधिकारियों ने शुक्रवार को कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली एक संसदीय समिति के सामने सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने पर पक्ष रखा। केंद्र सरकार ने इस महीने की शुरुआत में ट्विटर को नोटिस जारी कर नए आईटी नियमों का तत्काल अनुपालन करने का आखिरी मौका दिया था।

हाइलाइट्स:

  • कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली समिति ने ट्विटर से पूछे कड़े सवाल
  • सांसद ने पूछा ट्विटर गाजियाबाद के वीडियो पर मैनिपुलेटेड टैग लगाने में क्यों फेल रहा
  • देश में नियमों का उल्लंघन करते पाये जाने पर ट्विटर क्यों न जुर्माना लगाया जाए

नई दिल्ली

ट्विटर और सरकार के बीच टकराव पिछले कुछ समय से बना हुआ है और फिलहाल उसको कहीं से राहत मिलती नहीं दिख रही है। संसद की स्थायी समिति के सदस्यों ने भी ट्विटर इंडिया के अधिकारियों से कड़े सवाल पूछे और यह बात समझा दिया कि कानून तो मानना ही होगा। कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) पर संसदीय समिति के समक्ष करीब डेढ़ घंटे की गवाही के दौरान शुक्रवार ट्विटर इंडिया के अधिकारियों से कड़े सवाल पूछे गये। इस दौरान गाजियाबाद की घटना का भी जिक्र आया।

जुर्माना क्यों नहीं लगाया जाए

ट्विटर को लेकर भले ही कांग्रेस और सरकार के मंत्रियों के अलग- अलग सुर हो लेकिन कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति की ओर से न केवल कड़े सवाल पूछे गए बल्कि यह भी कहा गया कि देश का कानून सर्वोपरि है और कंपनी को भारतीय कानूनों का पालन करना होगा। देश में नियमों का उल्लंघन करते पाये जाने पर उस पर जुर्माना क्यों नहीं लगाया जाए।

गाजियाबाद मामले को लेकर आया सवाल

हाल ही में टूलकिट को लेकर बीजेपी और कांग्रेस आमने सामने थी। साथ ही ट्विटर को लेकर भी बाहर अलग सुर थे लेकिन कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली समिति ने ट्विटर को खरी- खरी सुना दी। बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने सवाल पूछा कि ट्विटर हाल ही में गाजियाबाद के वायरल वीडियो पर मैनिपुलेटेड मीडिया का टैग लगाने में क्यों फेल रहा जबकि पुलिस की ओर से कहा गया कि यह गलत है। बैठक में थरूर के अलावा भाजपा के निशिकांत दुबे, राज्यवर्द्धन राठौड़, तेजस्वी सूर्या, संजय सेठ, जफर इस्लाम और सुभाष चंद्रा, तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा तथा टीडीपी के जयदेव गल्ला ने भाग लिया।

ट्विटर से सदस्यों का सीधा सवाल

समिति के सदस्यों ने सीधे सीधे पूछा कि ट्विटर भारतीय कानून को मानता है कि नहीं। ट्विटर इंडिया की ओर पब्लिक पॉलिसी मैनेजर शगुफ्ता कामरान और लीगल काउंसल आयुषी कपूर ने कहा कि वे भारतीय कानून का आदर करते हैं और ट्विटर की भी यही पॉलिसी है। इस मीटिंग के बाद ट्विटर के प्रवक्ता ने कहा कि हम इसकी सराहना करते हैं कि हमें अपना पक्ष रखने का मौका मिला। प्राइवेसी और अभिव्यक्ति की आजादी हमारा सिद्धांत है।

लिखित जवाब देने के लिए कहा

सूत्रों के अुनसार समिति के सामने नए आईटी नियमों के तहत अधिकारियों की नियुक्ति में देरी क्यों हो रही है इसको लेकर कोरोना का हवाला दिया गया। हालांकि कंपनी की ओर से कोई टाइमलाइन नहीं बताया गया। सूत्रों के अुनसार ट्विटर इंडिया की ओर से पेश अधिकारियों से लिखित में इसको लेकर जवाब 15 दिन में देने को कहा गया। वहीं इस सवाल पर कोई जवाब नहीं मिला और यह कहा गया कि महत्वपूर्ण निर्णय अमेरिका में लिए जाते हैं। साथ ही टेक्निकल मामलों को सर्वर वही होने की वजह से वहीं देखा जाता है।

मोदी बराबर ट्वीट करते रहते हैं इसलिए भारत ट्विटर पर प्रतिबंध नही लगा पा रहा है …ट्विटर भी यह कमजोरी जानता है भलीभांति…

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