अम्बेडकरनगर। वैश्विक महामारी का कारण बने कोरोना बीते करीब डेढ़ साल से कहर बरपा रहा है। पहले पहली लहर आई तो कम और फिर आई दूसरी लहर मौके पर कहर बरपा रही है। कहर से कराह रहे लोगों पर एक और तीसरी लहर के आने का खतरा है। बताया गया है कि अब तीसरी लहर आने वाली है। यह भी बताया गया है कि तीसरी लहर बच्चों के लिए सबसे अधिक घातक होगी।
कोरोना के कहर से कराह रहे लोगों के लिए तीसरी लहर चिंता का सबब बनी हुई है। हालांकि शासन और प्रशासन सतर्क है। करीब दो माह से शासन और एक माह से प्रशासन तीसरी लहर से निपटने की तैयारियों में जुटा हुआ है। बात जिले की करें तो जिला प्रशासन करीब एक माह से तीसरी लहर से निपटने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए चार अस्पताल चिन्हित कर लिए हैं। सभी अस्पतालों में वर्तमान बेडों की संख्या में वृद्धि करने और बच्चों के लिए सर्वाधिक खतरनाक माने जा रहे तीसरी लहर के लिए अतिरिक्त बेड की व्यवस्था करने का व्यवस्था की गई है। हर कोविड अस्पताल में बच्चों के लिए 10-10 बेड की व्यवस्था की गई है। साथ ही सभी चार अस्पतालों में अलग से ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने के निर्देश दिया गया है। मौके पर ऑक्सीजन प्लांट की व्यवस्था मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल एमसीएच विंग जलालपुर में की जा रही है। जल्द ही एमसीएच विंग टांडा में भी ऑक्सीजन प्लांट की व्यवस्था होगी।
ये हैं तीसरी लहर के कोविड अस्पताल
जिले में तीसरी लहर के लिए चार कोविड अस्पताल तैयार किए जा रहे हैं। इसमें जिला अस्पताल, मेडिकल कॉलेज सद्दरपुर, एमसीएच विंग आसोपुर टांडा और एमसीएच विंग जलालपुर शामिल हैं।
बच्चों के लिए कहां हैं कितने बेड: बच्चों के लिए खतरनाक बताए जा रहे कोरोना के तीसरी लहर से निपटने के लिए मेडिकल कॉलेज में 40, जिला अस्पताल में 20, एमसीएच विंग टांडा में 10 और एमसीएच विंग जलालपुर में 10 बेड आरक्षित किया जा रहा है।ताकि संक्रमित होने वाले बच्चों का इलाज किया जा रहा। वहीं जिला अस्पताल के एसएनसीयू में भी छोटे बच्चों के लिए बेड आरक्षित किया जा रहा है।
कहां हैं अभी कितने बेड
.मेडिकल कॉलेज में 168
.जिला अस्पताल में 40,
.एमसीएच विंग टांडा में 150
.एमसीएच विंग जलालपुर में 20