जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव: जानिए, बीजेपी को टक्कर देने के लिए अखिलेश ने क्या बनाई रणनीति

उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के लिए विपक्षी दल समाजवादी पार्टी सत्ताधारी भाजपा को कड़ी टक्कर देने की तैयारी में है। सपा ने सहयोगियों के साथ 50 सीटें जीतने के लक्ष्य तय किया है। शह और मात के खेल के तहत दूसरे दलों के जिला पंचायत सदस्यों को अपने पाले में लाने व अपने सदस्यों को बांधे रखने  की कोशिशें तेज हो गईं हैं। साथ ही जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए घोषित व अघोषित प्रत्याशी अपनी जीत पक्की करने के लिए समर्थन जुटाने में लगे हैं। 

जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव में  सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली सपा के लिए उसी अनुपात में अपने अध्यक्ष जिताने के लिए खासी मश्क्कत करनी पड़ रही है। अभी चुनाव का ऐलान नहीं हुआ है और भाजपा ने प्रत्याशी भी घोषित नहीं किए हैं, पर सपा अपने जिलाध्यक्षों के जरिए सहमति बना कर तमाम सीटों पर प्रत्याशी तय कर रही है। माना यह भी जा रहा है कि ऐन वक्त सेंधमारी जब चरम पर होगी तब कुछ प्रत्याशी इधर उधर हो सकते हैं या बदल सकते हैं। सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम कहते हैं, सबसे ज्यादा जिला पंचायत सदस्य सपा के जीते हैं, हम हर जगह मजबूती से लड़ रहे हैं। लेकिन हमारी लड़ाई प्रशासन से भी है। भाजपा नेता कम पंचायत सदस्य जीतने के बावजूद अधिकांश सीटें जीतने का दावा इसी आधार पर कर रहे हैं। 

असल में जिला पंचायत अध्यक्षी के लिए पार्टी अध्यक्ष चुनाव के लिए अखिलेश यादव  ने प्रभावशाली नेताओं के नातेदारों को मैदान में उतारा है। मैदान आने के बाद अपने लिए बहुमत जुटाने के लिए जिलों में काफी दांवपेंच चले जा रहे हैं। इटावा में अखिलेश यादव के चचेरे भाई अंशुल यादव मैदान में हैं। यहां उनकी जीत पक्की करने के लिए शिवपाल यादव भी उनके साथ हैं। परिवार की एका यहां के चुनाव में जरूर दिख रही है। मेरठ में बसपा की जिला पंचायत सदस्य सोनाली गूर्जर को सपा में शामिल कर उन्हें प्रत्याशी बना दिया गया। यहां सपा को रालोद व भारतीय किसान यूनियन का भी समर्थन है।

मुरादाबाद की बिलारी से सपा विधायक मो. फहीम इरफान के परिवार की सदस्य अमरीन अध्यक्षी का चुनाव लड़ रही हैं। अमरोहा में सपा विधायक व पूर्व मंत्री महबूब अली  की पत्नी सकीना बेगम भी मैदान में हैं।  अलबत्ता बिजनौर में सामान्य कार्यकर्ता सिख परिवार की चरणजीत कौर प्रत्याशी नाम पर  सपा  तैयार हो गई है। पश्चिमी यूपी में  सपा रालोद गठबंधन ज्यादातर सीटों को जीतने की रणनीति बना रहा है।  अखिलेश सरकार में मंत्री रहे व वर्तमान विधायक दुर्गा प्रसाद यादव के बेटे विजय यादव आजमगढ़ से प्रत्याशी तय हुए हैं। वाराणसी से चंदा यादव सपा से मैदान में हैं। प्रयागराज में मालती यादव, गाजीपुर में कुसुम लता यादव, मऊ में रामनगीना यादव,हमीरपुर में वंदना यादव व देवरिया में शैलजा यादव भी अध्यक्षी के लिए  अब समर्थन जुटाने में लग गए हैं।

जातीय समीकरणों को साधने की कोशिश 
सपा ने प्रत्याशियों में पिछड़ों, मुस्लिमों वर्ग के जिला पंचायत सदस्यों पर फिर दांव लगाया है। सबसे ज्यादा टिकट यादव समुदाय को  मिले हैं। सपा का  यह प्रभावशाली कोर वोट बैंक है। कुर्मी, मौर्य  दलित, सिख व अन्य वर्गों के जिला पंचायत सदस्यों को भी अध्यक्षी चुनाव  के लिए तवज्जो दी गई है। 

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