कोरोना संकट के बीच खाद्य तेल से लेकर विभन्न तरह की कमोडिटी की कीमतों में तेज उछाला आया है। इससे आने वाले समय में रोजमर्रा के उत्पाद (एफएमसीजी) से लेकर लेकर वाहन तक और महंगे होने की आशंका बढ गई जो आपकी जेब पर बोझ बढ़ाएंगे। कंपनियों के सर्वे में यह बात सामने आई है।
सर्वे में 294 कंपनियों को शामिल किया गया है। इनसे मिले आंकड़ों से पता चलता है कि दिसंबर तिमाही में एनएसई निफ्टी की 11 कंपनियों को कमोडिटी के दाम बढ़ने से फायदा हुआ है जबकि 13 कंपनियों को दाम बढ़ने से नुकसान है। निफ्टी में कुल 50 कंपनियां शामिल हैं। महंगाई की मार एफएमसीजी, टीवी-फ्रीज जैसे कंज्यूमर ड्यूरेबल, वाहन और अन्य उत्पादों पर भी पड़ा है। विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ समय तक कंपनियां लागत की भरपाई खुद से करती हैं लेकिन एक तिमाही से ज्यादा समय तक कीमतों में तेजी बनी रहती है तो वह ग्राहकों पर बोझ बढ़ाने को मजबूर हो जाती हैं।
रोजमर्रा के समान और महंगे होंगे
खाद्य तेल की कीमतों में हाल के महीनों में काफी तेजी आई है। इसकी एक बड़ी वजह कच्चा माल महंगा होना है। कंपनियों का कहना है जल्द ही वह कीमतों में तीन से चार फीसदी तक इजाफा करने की योजना बना रही हैं। ब्रिटानिया ने तीन फीसदी दाम बढ़ाने की घोषणा है। डाबर, एचयूएल और मेरिको भी कीमतें बढ़ाने को मजबूर हैं।
वाहन और महंगे होंगे
इस साल जनवरी में ज्यादातर वाहन कंपनियों ने कीमतों में चार फीसदी तक इजाफा किया था। बजाज ऑटो की लागत में चार फीसदी तक वृद्धि हुई है। इसे देखते हुए कंपनी ने चरणबद्ध तरीके से कीमतों में चार फीसदी इजाफा करने की घोषणा की है। वह अप्रैल में 1.5 फीसदी तक दाम बढ़ा चुका है। अन्य दोपहिया और कार कंपनियां भी दाम बढ़ाने की तैयारी में हैं।
ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद घटेगी
विशेषज्ञों का कहना है कि उत्पादों के दाम बढ़ने का सीधा असर खुदरा महंगाई दर पर होगा। रिजर्व बैंक ब्याज दरों पर फैसला करते समय खुदरा महंगाई को आंकता है। ऐसे में महंगाई बढ़ने पर आने वाले समय में रिजर्व बैंक के लिए ब्याज दरें घटाने का विकल्प कम रह जाएगा।