देश में 2 महीनों तक रहेगा टीकों का टोटा – वैक्सीन की पहली खुराक के लिए बढ़ सकता है इंतजार

कोरोना महामारी की दूसरी भयावह लहर के बीच लोगों में टीकाकरण को लेकर दिलचस्पी एकाएक बढ़ गई है। इसलिए टीकाकरण केंद्रों पर लंबी कतारें दिखाई दे रही हैं। लेकिन, इस बीच टीके की आपूर्ति सीमित होने के कारण केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि वे दूसरी खुराक लेने वालों को प्राथमिकता दें। राज्यों को सलाह दी गई है कि उपलब्ध टीके को 70 फीसदी दूसरी खुराक वालों के लिए इस्तेमाल करें तथा बाकी 30 फीसदी पहली खुराक के लिए प्रयोग हो। 

दरअसल, एक मई से 18 से अधिक और 45 साल से कम उम्र के लोगों को भी टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किया गया है। लेकिन, इस आयु वर्ग के लिए टीके का इस्तेमाल राज्यों या निजी अस्पतालों को खुद करना है। केंद्र की जिम्मेदारी 45 साल से अधिक उम्र के लोगों को दिए जा रहे टीके को लेकर है। जो राज्यों को निशुल्क दिया जाता है। 

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, अब तक राज्यों को 17.49 करोड़ खुराक दी जा चुकी है। अब तक 13.30 करोड़ लोगों को पहली और इनमें से 3.41 करोड़ लोगों को दूसरी खुराक दी जा चुकी है। इन आंकड़ों से साफ है कि आने वाले दिनों में दूसरी खुराक लेने वालों की संख्या बढ़ेगी। 

मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, जो लोग पहली खुराक ले चुके हैं। उन्हें तय समय के भीतर दूसरी खुराक लेनी जरूरी है। कोवैक्सीन 28 दिन के बाद और कोविशील्ड 6-8 सप्ताह के भीतर लेनी है। इसलिए राज्यों को कहा गया है कि दूसरी खुराक के लिए टीके की कमी नहीं हो। केंद्र का रुख साफ है कि जिसे एक भी खुराक नहीं मिली है, वह थोड़ा इंतजार कर सकता है, लेकिन यदि दूसरी खुराक समय पर नहीं दी गई तो पहली भी बेकार हो जाएगी। साथ ही टीके की बर्बादी को भी न्यूनतम करने को बार-बार कहा जा रहा है। 

स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, लक्षद्वीप में टीकों की सबसे ज्यादा बर्बादी हुई है। लक्षद्वीप को मिली खुराकों में से 22.7 प्रतिशत बर्बाद हुईं। इसके बाद हरियाणा में 6.65 प्रतिशत और असम में 6.07 प्रतिशत खुराक बर्बाद हुईं।

स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 18-44 आयुवर्ग के मात्र 14.8 लाख से ज्यादा लाभार्थियों को एक हफ्ते में पहली खुराक लगाई जा चुकी है।  

बता दें कि अभी राज्यों के पास 84 लाख टीके मौजूद हैं। तीन दिनों के भीतर 53 लाख उन्हें और पहुंचेंगे। लेकिन, रोजाना टीकाकरण 20-25 लाख के बीच है। इसलिए टीके की मौजूदा उपलब्धता कम है। 

स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो अगले दो महीनों तक टीके की थोड़ी कमी बनी रहेगी, लेकिन उसके बाद आपूर्ति बढ़ जाएगी। क्योंकि सीरम इंस्टीट्यूट को 11 करोड़ और भारत बॉयोटेक को 5 करोड़ खुराक का आदेश दिया जा चुका है। हालांकि, इन कंपनियों की चुनौती यह भी है कि उत्पादन का आधा हिस्सा उन्हें राज्यों या निजी अस्पतालों को देना है। राज्यों एवं निजी अस्पतालों से भी उन्हें भारी-भरकम ऑर्डर मिले हैं। इसलिए आपूर्ति में थोड़ा विलंब हो रहा है। 

नई दिल्ली स्थित लेडी हार्डिंग हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. एनएन माथुर ने कहा कि  हर व्यक्ति को कोरोना का टीका लेना है, लेकिन हमें यह देखना जरूरी है कि दूसरी खुराक तय समय पर मिल जाए। इसलिए यह कदम उठाया गया है। इससे पहली खुराक लेने वालों को बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। उन्हें थोड़ा आगे की तारीख का अप्वाइंटमेंट मिलेगा। इस समय सभी टीकाकरण केंद्र पूरी क्षमता के साथ कार्य कर रहे हैं। 

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