बंगाल चुनाव : आखिरी चरणों के चुनाव में BJP की होगी असली अग्निपरीक्षा

पश्चिम बंगाल के बाकी तीन चरणों के चुनाव में भाजपा की दिक्कतें बढ़ सकती हैं, क्योंकि इन चरणों के चुनाव में उसका मुकाबला ममता बनर्जी के गढ़ माने जाने वाले कोलकाता और उसके आसपास के क्षेत्र में होना है। साथ ही कई सीटें ऐसी हैं जिन पर मुसलमान मतदाता काफी संख्या में हैं। पश्चिम बंगाल में आठ में से पांच चरणों का चुनाव हो चुका है और भाजपा के बड़े नेताओं के दावे को मानें तो वह बढ़त पर है। लेकिन यही दावे तृणमूल कांग्रेस के भी हैं और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मुकाबला कड़ा है। 

इन चरणों के चुनाव पर कोरोना का असर ज्यादा दिख सकता है क्योंकि अब मामले तेजी से बढ़े हैं और चुनाव आयोग ने भी सख्ती दिखाई है। आयोग ने भी रैलियों, सभाओं और रोड शो में कोरोना प्रोटोकाल के सख्ती से अमल के निर्देश दिए हैं, हालांकि उसने चुनाव प्रचार पर रोक नहीं लगाई है और न ही मतदान की तिथियां बदली है। ऐसे में आखिरी चरण तक चुनावी घमासान जारी रहेगा।

पश्चिम बंगाल की चुनावी तस्वीर में आखिरी के चार चरण सबसे ज्यादा कठिन माने जा रहे हैं। इसमें पांचवें चरण के लिए शनिवार को मतदान हो गया है। पांचवें और छठवें चरण में कई सीटों पर मुसलमान मतदाताओं की काफी संख्या है और ऐसा माना जा रहा था कि वहां पर ध्रुवीकरण की स्थिति में भाजपा को नुकसान हो सकता है। हालांकि भाजपा के नेता इससे इनकार कर रहे हैं। 

सातवें व आठवें चरण की अधिकांश सीटें कोलकाता और उसके आसपास के क्षेत्र की हैं। बीते दो विधानसभा चुनाव से यह ममता का गढ़ माना जाता है। ममता बनर्जी का निजी प्रभाव भी क्षेत्र में काफी रहा है। ऐसे में भाजपा के लिए मुश्किलें होंगी। हालांकि भाजपा नेताओं कहना है कि पहले चरण से ही बदलाव का माहौल बन चुका है और वह आखिरी चुनाव तक जारी रहेगा।

गौरतलब है कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए हाल में चुनाव आयोग द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में तृणमूल कांग्रेस ने बाकी चरणों के चुनाव एक साथ कराने की मांग की थी, जबकि भाजपा पहले की तरह ही मतदान चाहती थी। आयोग ने चुनाव प्रक्रिया और मतदान में कोई बदलाव नहीं किया है। इससे भाजपा राहत महसूस कर रही है, क्योंकि एक साथ चुनाव होने पर उसे गड़बड़ी का डर था।

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