महाराष्ट्र के व्यापारियों का अल्टीमेटम, वापस, दुकानें बंद करने का फैसला

महाराष्ट्र में कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों के चलते उद्धव सरकार ने बीते दिनों 30 अप्रैल तक सभी गैर-जरूरी दुकानों को बंद रखने का फैसला किया, जिसका अब विरोध किया जाने लगा है। महाराष्ट्र के व्यापारियों ने उद्धव ठाकरे को अल्टीमेटम देते हुए फैसले को वापस लेने के लिए कहा है। फेडरेशन ऑफ असोसिएशन ऑफ महाराष्ट्र (एफएएम) जिसके दो लाख से अधिक छोटे व्यापारी मेंबर हैं, उन्होंने मुख्यमंत्री ठाकरे को यह अल्टीमेटम दिया है।

महाराष्ट्र सरकार ने कड़ी पाबंदियों को लागू करते हुए सभी गैर जरूरी दुकानें, मार्केट्स और मॉल्स को 30 अप्रैल तक बंद रखने का निर्णय किया था। इस फैसले पर बात करते हुए एफएएम के प्रेसिडेंट विनेश मेहता ने कहा कि पिछले साल लागू किए गए लॉकडाउन से हम किसी तरह उबर रहे थे, कि फिर से यह पाबंदियां लागू कर दी गईं। इससे छोटे कारोबार पूरी तरह से खत्म हो जाएंगे।

एफएएम ने फैसला लिया है कि अगर मुख्यमंत्री उनकी बातों को नहीं मानते हैं, तो वे इसका विरोध करेंगे। सभी व्यापारी अपनी दुकानों में काले रंग के बैंड और मास्क पहन कर आएंगे और विरोध जताएंगे। यह विरोध गुरुवार से शुरू होगा। वाइस प्रेसिडेंट जीतेंद्र शाह ने कहा कि ट्रेडर्स को सैलरी, टैक्सेस, जीएसटी, किराया आदि भी देना होता है। कहां से इसके लिए पैसा आएगा? अगर सरकार हमारी मांगों को नहीं सुनती है तो फिर हम अपना विरोध तेज करेंगे।

एमएनएस चीफ राज ठाकरे ने बीते दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा था कि गैर-जरूरी दुकानों को कम से कम दो-तीन दिनों तक खुला रखने की अनुमति दी जानी चाहिए। साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री ठाकरे को एक लेटर लिखकर सुझाव दिया था कि यह सिर्फ एक अलग नाम से लॉकडाउन है और इस वजह से नोटिफिकेशन को वापस लिया जाना चाहिए।

ट्रेडर बॉडी ने यह भी कहा है कि अगर गुरुवार को होने वाला विरोध परिणाम देने में विफल साबित होता है तो फिर वे नॉन-कॉपरेशन मूवमेंट शुरू करेंगे, जहां पर दुकानें और दुकानदार टैक्सेस देने से इनकार करेंगे। व्यापारियों का दावा है कि वे वित्त मंत्री और कई विधायकों से बात कर रहे हैं, लेकिन अभी तक उन्हें कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है।

मंगलवार से शुरू हुईं पाबंदियों में नागपुर, सतारा आदि जगह पर विरोध भी देखा गया। मुंबई में कई जगह कन्फ्यूजन की स्थिति भी बनी रही। कई दुकानदारों को लगता रहा कि यह फैसला सिर्फ वीकेंड पर ही लागू होगा। ऐसे में इन दुकानों को बंद कराने के लिए पुलिस को सामने आना पड़ा।  

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