अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर बिहार विधान परिषद में सभापति अवधेश नारायण सिंह ने कैमूर का एक किस्सा सुनाया, जिसे सुनकर सभी सदस्य मुस्कुरा उठे। यह किस्सा महिला जनप्रतिनिधियों को खास तौर पर रास आया। कई को तो यह किस्सा खुद पर भी फिट लगा। हालांकि यह किस्सा बिहार के पंचायत जनप्रतिनिधियों से जुड़ा था। सभापति ने इसके जरिये बिहार में महिला सशक्तीकरण की दिशा में किए गए प्रयासों को सदस्यों के सामने रखा। बिहार में पंचायती राज व्यवस्थामें 50 फीसद पद महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं। कई जिलों में महिला पंचायत प्रतिनिधियों की संख्या 50 फीसद से भी अधिक है। महिला दिवस के मौके पर विघान परिषद की सभी महिला सदस्यों को पार्कर ब्रांड की कलम देकर सम्मानित किया गया। सभी सदस्यों ने भी अपने अभिभाषण में नारी शक्ति को नमन किया। इस दौरान सभापति ने कैमूर जिले के एक कार्यक्रम का जिक्र करते हुए कहा कि एक कार्यक्रम के दौरान महिलाएं आगे बैठी थीं और उनके पति पीछे बैठे थे। जब पतियों से पूछा गया कि पंचायतों में महिला आरक्षण के बाद क्या बदलाव आया तो पति बोले कि पहले हम पिया थे, अब पीए हो गए हैं। बिहार में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं को आरक्षण की व्यवस्था पूरे देश में नजीर बनी है और हर जगह इसकी सराहना होती है। बिहार विधानमंडल के सदन 12 मार्च यानी शुक्रवार को नहीं चलेंगे। इसकी जगह 13 मार्च, शनिवार को बिहार विधानसभा और विधानपरिषद की कार्यवाही चलेगी। दोनों ही सदनों में कार्य मंत्रणा समिति के इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पास कर दिया गया।