बदनाम बिल्डरों का कारोबार होगा बंद
▪️ पीएचडी चेंबर के वर्चुअल कार्यक्रम में यूपी रेरा के चेयरमैन राजीव कुमार ने कहा, रेरा कानून के कारण बेहतर प्रदर्शन करने वाले बिल्डर टिकेंगे और दागियों को बंद करना पड़ेगा अपना कारोबार।
▪️पीड़ित घर खरीदारों से सिर्फ़ एक क्लिक दूर है रेरा अथॉरिटी।
पीएचडी चेंबर के एक वर्चुअल कार्यक्रम में आज यूपी रेरा के चेयरमैन राजीव कुमार ने कहा कि रेरा क़ानून की वजह से रियल स्टेट कारोबारी और खरीदारों के बीच खोया विश्वास फिर से क़ायम करने में मदद मिली है। जल्द ही हमें यह देखने को मिलेगा कि बेहतर प्रदर्शन करने वाले बिल्डर ही बाज़ार में टिकेंगे। कम बेहतर को अपना प्रदर्शन सुधारना होगा और बदनाम बिल्डरों को अपना कारोबार बंद करना पड़ेगा। उन्होने कहा क़रीब 20 प्रतिशत बिल्डर ही इस तीसरी श्रेणी में आते हैं जिनके कारोबारी तौर तरीक़े आपत्तिजनक और क़ानून के विरुद्ध हैं। जिनकी वजह से ही आज रेरा जैसे क़ानून की आवश्यकता पैदा हुई है। रेरा क़ानून की सफलता सही मायनों में तब मानी जाएगी जब रेरा अदालत में शिकायतें आना बेहद कम या ख़त्म हो जाएं। उन्होने कहा रियल एस्टेट सेक्टर में देश की जीडीपी को दुगुना करने की क्षमता है। रेरा क़ानून की वजह से ख़रीदार अब बाज़ार में वापस लौट रहे हैं जिससे अंततः रीयल एस्टेट सेक्टर को ही फ़ायदा होगा।
प्रतिष्ठित उद्योगपति व पीएचडी चेंबर के यूपी चेयरमैन ललित खेतान ने कहा कि केंद्रीय रेरा क़ानून को लागू करने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है। पूरे देश में रेरा का पहला कॉनक्लेव भी उत्तर प्रदेश में ही आयोजित किया गया था। होम बायर्स की समस्याओं को सुलझाने के लिए यूपी रेरा अथॉरिटी प्रभावी भूमिका निभा रही है। कोविड के दौरान भी वर्चुअल अदालतों के माध्यम से रेरा ने पीड़ितों को न्याय देखकर बेहतर काम किया है।
पीएचडी चेंबर यूपी चैप्टर के को चेयरमैन मनीष खेमका ने कहा कि भारत में रेरा क़ानून लागू होने के बाद जनवरी 2021 तक साठ हज़ार से ज़्यादा मामले निपटाए जा चुके हैं। जिनमें से 40 प्रतिशत से ज़्यादा मामलों का निपटारा अकेले उत्तर प्रदेश में किया गया है। बीते साल मई और दिसंबर में यूपी रेरा अथॉरिटी ने पहली बार स्थानीय स्तर पर होम बायर्स की समस्याओं को सुलझाने के लिए ऑनलाइन रेरा संवाद का आयोजन किया था जोकि निश्चित ही एक प्रशंसनीय पहल है। जनवरी 2021 की शुरुआत तक पूरे भारत में रेरा के तहत क़रीब 60 हज़ार रियल स्टेट प्रोजेक्ट्स और क़रीब 46 हज़ार रियल इस्टेट एजेंट्स का रजिस्ट्रेशन किया जा चुका है।
रेरा चेयरमैन को दिए अपने सुझाव में खेमका ने कहा कि रियल स्टेट से संबंधित समस्याओं के त्वरित निदान के लिए रेरा के मार्गदर्शन में किसी भी मुक़दमे से पूर्व बिल्डर्स और होम बायर्स के बीच संवाद की सम्भावनाएँ तलाशी जानी चाहिए व इस दिशा में प्रयास किया जाना चाहिए। रेरा कानून में इसके लिए मध्यस्थता फ़ोरम (conciliation forum) का प्रावधान है। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में इसकी त्वरित व व्यापक स्थापना के साथ ही घर खरीदारों के बीच जागरूकता की भी आवश्यकता है। रेरा क़ानून अभी अपेक्षाकृत नया है और जैसा कि क़ानून के विशेषज्ञों का मानना है कि कोई भी नया क़ानून पूरे तरीक़े से प्रभावी होने में अपना समय लेता है। पीएचडी चैम्बर जैसी ग़ैर लाभकारी संस्थाएं इस हेतु एक निष्पक्ष व प्रभावी मध्यस्थ की भूमिका निभा सकती हैं। जिससे मुकदमों की संख्या और लीगल खर्चों में कमी लाकर रेरा के संभावित वर्क लोड को भी घटाया जा सकता है। साथ ही बिल्डर्स की गुडविल और रेटिंग से भी होम बायर्स को अवगत कराने के लिए किसी प्रभावी मैकेनिज्म पर विचार करने की आवश्यकता है। जिसे विभिन्न प्रदेशों के साथ साथ राष्ट्रीय स्तर पर भी लागू किया जा सके। इससे होम बायर्स को सही निर्णय लेने में मदद मिलेगी। खेमका के इस सुझाव को रेरा चेयरमैन ने सराहा और जल्द कार्रवाई का भरोसा भी दिलाया।
पीएचडी चेंबर की इस वेबिनार में हलवासिया एंड संस के मुकुंद हलवासिया ने आशा जतायी कि रेरा क़ानून से रियल स्टेट का कारोबार बढ़ेगा। को चेयरमैन व नीलांश ग्रुप के सतीश श्रीवास्तव ने सभी का धन्यवाद दिया। चेंबर के डिप्टी सेक्रेटरी जनरल डॉक्टर रंजीत मेहता ने कार्यक्रम का संचालन किया। साथ ही कार्यक्रम में डायरेक्टर अतुल श्रीवास्तव, जुबिलेंट लाइफ़ साइंसेज के अनिल मलिक, रिशिता डेवलपर्स के सुधीर अग्रवाल, इमामी रियल्टी के रातुल गुप्ता समेत अनेक उद्यमी, लखनऊ, वाराणसी, इलाहाबाद और मेरठ विकास प्राधिकरणों के प्रतिनिधि व अनेक वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।