बिहार के किसान अब साल में तीन फसल उगा पाएंगे। इसको लेकर राज्य के सभी जिलों में मौसम के अनुकूल कृषि कार्यक्रम की शुरुआत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को की। पिछले साल आठ जिलों में इसकी शुरुआत की गई थी, जिसके बेहतर परिणाम आये थे।
इस बार शेष 30 जिलों के भी पांच-पांच गांव में शुरुआत की गई। इसके साथ ही राज्य के सभी 38 जिलों में मौसम अनुकूल खेती विधिवत आरंभ हो गयी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुभारंभ करते हुए कहा कि इससे किसानों को कम पूंजी में अधिक आमदनी होगी। फसल की उत्पादन लागत भी घटेगी।
एक अणे मार्ग से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसकी शुरुआत की और कहा कि जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत यह कार्यक्रम स्थायी होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र में विकास के लिए हमलोगों ने कई कार्य किए हैं। कृषि रोडमैप की शुरुआत वर्ष 2008 में की गई और अभी तीसरा कृषि रोडमैप चल रहा है। इससे कृषि क्षेत्र में उत्पादन और उत्पादकता दोनों बढ़ी है। राज्य में 76 प्रतिशत लोगों की आजीविका का आधार कृषि है। बाढ़, सुखाड़ की स्थिति निरंतर राज्य में बनी रहती है। मौसम के अनुकूल फसल चक्र अपनाने से किसानों को काफी लाभ होगा। नई तकनीक यंत्रों के माध्यम से कटनी के बाद हो रहे सीधे बुआई के कार्य को भी आज कृषि विज्ञान केंद्रों पर दिखाया गया है, जिसे देखकर मुझे प्रसन्नता हुई है।
मौसम अनुकूल कृषि कार्यक्रम को लेकर 2021 में डेढ़ लाख किसान प्रशिक्षित होंगे। वैज्ञानिक खेतों में इस खेती के गुर किसानों के समक्ष प्रदर्शित (डिमास्ट्रेट) करेंगे। उदाहरण के साथ किसानों को विस्तृत जानकारी दी जाएगी ताकि वे इसका विस्तृत लाभ ले सकें।
कृषि सचिव डा. एन सरवण कुमार ने कहा कि परियोजना के तहत 190 गांवों को पूरी तरह इस नई पद्धति के लिए विकसित किया जाएगा। शेष गांवों के किसानों को भी इसे दिखाया जाएगा। पहले साल आठ जिलों में लगभग 20 हजार किसानों को इस विधा की तकनीक से अवगत कराया गया। इस वर्ष लक्ष्य डेढ़ लाख किसानों तक योजना की जानकारी पहुंचाने का है। बड़ी कृषि संस्थाओं की देखरेख में पूरी व्यवस्था चलेगी।