धूल से भरा लखनऊ शहर, अस्थमा का डर
(शैलेन्द्र श्रीवास्तव)
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में चारों तरफ धूल का गुबार छाया हुआ है। यह किसी आंधी तूफान की वजह से नहीं बल्कि जिम्मेदार अधिकारीयों की अदूरदर्शितापूर्ण व लापरवाही से कार्य करने की शैली का परिणाम है। ज्ञात हो कि लखनऊ शहर में सीवर के लिए पाइप लाइन डालने का कार्य चल रहा है। जिसके कारण सभी सड़कों पर खुदाई करके पाइप डाला जा रहा है। यह कार्य इस तरीके से किया जा रहा है जिससे हर तरफ धूल उड़ रहा है, यातायात और अवरुद्ध हो रहा है, जाम लग रहा है। लोग परेशान हो रहे हैं। जो यात्रा 10 मिनट में पूरी होती है उसको पूरी करने में 30 मिनट से लेकर 50 मिनट तक का समय लग रहा है। इस कार्य को नियंत्रित करने के लिए संबंधित नगर निगम, यातायात, स्वास्थ्य विभाग, संबंधित प्रशासनिक अधिकारियो की भूमिका शून्य नजर आ रही है। ऐसा लगता है जैसे कोई नियंत्रण ही नहीं है। किसीको कोई फर्क नहीं पड़ रहा है, जबकि जिन क्षेत्रों में जैसे हजरतगंज में खुदाई तो नहीं हो रही है लेकिन धूल का गुबार वहां पर भी स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। रात में पार्क में जो गाड़ियां खड़ी होती हैं सुबह तक उस पर धूल की एक चादर पड़ी हुई नजर आती है। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आमजन जो सांस ले रहे हैं, उनके अंदर कितना धूल जा रहा होगा। इसका सीधा उनके फेफड़ों पर पड़ता है और उससे श्वसन संबंधी बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है।
ज्ञात हो कि करोना महामारी का मुख्य असर फेफड़ों पर, श्वसन क्रिया पर पड़ता है, जिसकी वजह से यह जानलेवा हो जाता है। ऐसे में इस तरह की लापरवाही और उसको नजरअंदाज करना उत्तर प्रदेश की राजधानी में निवास करने वाले सभी आम व खास के लिए नुकसान दे है तथा जान लेवा भी है।