नोएडा साइबर थाना पुलिस ने अंगूठे के निशान की क्लोनिंग कर आधार कार्ड के माध्यम से हजारों लोगों के खाते से करोड़ों रुपये निकालने वाले गिरोह के मास्टरमाइंड को गाजियाबाद से गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोपी से विभिन्न बैंकों की चेक बुक, पासबुक, फर्जी रबर फिंगर प्रिंट सहित ठगी से जुड़ा अन्य सामान बरामद किया है।
पिछले कुछ समय से नोएडा के सेक्टर-36 साइबर थाना पुलिस को शिकायत मिल रही थी कि नोएडा में आधार इनेबल पैमेंट सिस्टम के माध्यम से लोगों के बैंक खातों से रुपये निकाले जा रहे हैं। पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ धोखाधड़ी, आईटी एक्ट सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज कर जांच शुरू की। पुलिस ने जांच के दौरान शुक्रवार को गाजियाबाद के क्रॉसिंग रिपब्लिक यूका टॉवर पैरामाउंट सोसाइटी निवासी रोहित त्यागी को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस ने आरोपी से 63 पासबुक और चेकबुक, 20 पेनकार्ड, 12 आधार कार्ड, 17 डेबिट कार्ड, 3 बॉयोमीट्रिक मशीन, 1 रबर थंब इंप्रेशन प्रिंटर, 1 पीओएस मशीन, 1 मॉडम, 1 ओटीपी रिसीविंग मशीन, 1 डोंगल, 7 मोबाइल, 1 प्रिंटर, 2 लैपटॉप, 102 फर्जी फिंगर रबर प्रिंट और एक कार बरामद की है।
पुलिस पूछताछ में आरोपी रोहित ने खुलासा किया कि वह रजिस्ट्री ऑफिस में आवेदन करके रजिस्ट्री की कॉपी निकलवा लेता था। दस्तावेजों में मालिक के अंगूठे के निशान होते हैं। आरोपी मालिकों के अंगूठे के निशान की फोटो लेकर रबर थंब प्रिंटर से फर्जी फिंगर प्रिंट तैयार कर क्लोन बना लेता था। फिर लोगों के आधार कार्ड की डिटेल लेकर उनके खाते से रुपये निकाल लेता था। आरोपी ने बताया कि उसने फर्जीवाड़ा कर हजारों लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी की है।
पुलिस जांच में सामने आया है कि आरोपी ने बीसीए कम्प्यूटर साइंस की पढ़ाई की है। वर्ष 2019 में रोहित त्यागी की नौकरी छूट गई थी। इसके बाद उसने ठगी का धंधा शुरू किया। फिर आरोपी ने आधार इनेबल पैमेंट सिस्टम के माध्यम से ठगी का नया तरीका ढूंढ लिया। आरोपी ने ठगी में प्रयोग सारे उपकरण ऑनलाइन मंगवाए थे।
आरोपी रोहित लोगों के खातों से रुपये निकालने के बाद उसे राशि को क्रिप्टो करेंसी में ट्रांसफर कर लेता था ताकि कोई राशि के साथ छेड़छाड़ न कर सके। बता दें कि क्रिप्टो करेंसी एक ऐसी मुद्रा है जो कंप्यूटर एल्गोरिथ्म पर बनी होती है। यह एक स्वतंत्र मुद्रा है जिसका कोई मालिक नहीं होता। यह करेंसी किसी भी एक अथॉरिटी के काबू में भी नहीं होती। अमूमन रुपये, डॉलर, यूरो या अन्य मुद्राओं की तरह ही इस मुद्रा का संचालन किसी राज्य, देश, संस्था या सरकार द्वारा नहीं किया जाता। यह एक डिजिटल करेंसी होती है जिसके लिए क्रिप्टोग्राफी का प्रयोग किया जाता है। आमतौर पर इसका प्रयोग किसी सामान की खरीदारी या कोई सर्विस खरीदने के लिए किया जा सकता है।