कोरोना काल में खाली खड़ी ट्रेनों का रखरखाव बढ़ा रहा है भारतीय रेलवे का खर्चा

कोरोना काल में यात्री यातायात के बजाय माल भाड़ा लदान के जरिए रिकॉर्ड बना रही और राजस्व अर्जित कर रही भारतीय रेल को संचालित नहीं हो रही ट्रेनों से नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। रेलवे की लगभग 11,000 से ज्यादा यात्री ट्रेन है अभी संचालित नहीं हो रही है, लेकिन उनके रखरखाव का खर्च बदस्तूर जारी है। भारतीय रेल 13 हजार से ज्यादा यात्री ट्रेनों का संचालन करता है।

रेल बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव ने इस बारे में साफ किया है कि इस समय जबकि अधिकांश यात्री ट्रेनों का संचालन नहीं हो रहा है, लेकिन उनके न्यूनतम रखरखाव करना पड़ रहा है। ट्रेनों को नियमित समयांतराल पर कुछ दूर चलाना ही पड़ता है, ताकि उनको पूरी तरह फिट रखा जा सके। इनमें सुरक्षा और संरक्षा मापदंडों को स्थिर बनाए रखना होता है। कुछ ट्रेनों को पूरी तरह से भी तैयार रखा गया है, ताकि मांग पर या सरकार द्वारा कोई फैसला होने पर उनको तुरंत संचालन में लाया जा सके।

भारतीय रेल इन ट्रेनों के रखरखाव पर होने वाले खर्चे का आंकड़ा तो नहीं दिया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि इन पर जो राशि खर्च हो रही है वह रेलवे के लिए घाटा है। इस समय रेलवे ढांचगत व्यय काफी कर रही है, जिससे उसके खर्च भी ज्यादा है। साथ ही बीते सालों में वह राजस्व अर्जित करने के लक्ष्यों से भी पीछे रही है।

हालांकि कोरोना काल में भारतीय रेल माल लदान को लेकर काफी सक्रिय हुई है और उसने उन क्षेत्रों का माल लदान भी शुरू किया है जो वह अब तक नहीं करती थी। इसके अलावा विशेष पार्सल ट्रेन और किसान ट्रेनों का संचालन भी किया है। इससे उसे काफी राजस्व भी मिल रहा है। साथ ही माल लदान के नए आंकड़े भी बन रहे हैं। भारतीय रेल के इस क्षेत्र में ज्यादा सक्रियता से सामने आने से विभिन्न तरह के सामानों का देश भर में आसानी से पहुंची बन रही है।

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